तुम से छिपा नही है जो बस्ती का हाल है
कुछ घर जले हुए हैं मुझे ये मलाल है
होली दीवाली हो या नया साल दोस्तों
क्या इस खुशी के वक़्त मे उनका ख़याल है
जिन के लिए फटे से कपड़े हैं कुछ लिबास
जिन के लिए दो वक़्त की रोटी मुहाल है
तेरे लिए ये हिंदुओ मुस्लिम की बात है
मेरे लिए ये इंसानियत का सवाल है
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कुछ घर जले हुए हैं मुझे ये मलाल है
होली दीवाली हो या नया साल दोस्तों
क्या इस खुशी के वक़्त मे उनका ख़याल है
जिन के लिए फटे से कपड़े हैं कुछ लिबास
जिन के लिए दो वक़्त की रोटी मुहाल है
तेरे लिए ये हिंदुओ मुस्लिम की बात है
मेरे लिए ये इंसानियत का सवाल है
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