Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Friday, 13 April 2018

2 लाइन शायरी संग्रह

जिन का दावा था बहुत प्यार है तुमसे हमको
अब  वही  हैं  की  मेरे  नाम  से  जल जाते हैं

कब तक नही सुनेगा तू दिल की मेरे सदा
कब तक रहेगा  यूँही तू  पत्थर बना हुआ


शाम आती  है तो यादो की  हवा चलती  है
दिल के आँगन मे कई नाम से जल जाते हैं


कैसे करे  हम  इश्क़  नवाबी  मिजाज़ है
रहता है इश्क़ हुस्न का नौकर बना हुआ


मुझको मालूम है पाउट नही जचती मुझ पर
फिर भी लब कर दिए हैं गोल तुम्हारी खातिर


प्रीत प्यार को जो ठुकरा दे उस पगली को देखा है
में  तुलसी  हूँ  मेंने  तुझ  मे रत्नावली को देखा है

तुम क्यू थे क्यू मिले थे फिर क्यू जुड़ा हुए
कुछ इस  तरह  से मेरे  सवालो में रहते हो


कृष्णा की जो मूरत  है सदा खामोश रहती है
ये मीरा थोड़ी पागल है उसे भी हाँ समझती है


साहिर के लफ्ज़ लफ्ज़ में  तस्वीर है  तेरी

उसकी गज़ल के तुम ही हवलो मे रहते हो

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