Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Saturday, 10 March 2018

हर एक उदासियों का है पैकर बना हुआ



हर एक उदासियों का है पैकर बना हुआ
फिर से कही वही है सितम्गर बना हुआ

कब तक नही सुनेगा तू दिल की मेरे सदा
कब तक रहेगा यूँही तू पत्थर बना हुआ

आवाज़े इश्क़ दिल मे ही दर्गोर कर दिया
लगता है कोई फिर से है अकबर बना हुआ

तखलीक़ करके जाने पत्थर के कितने बुत
बैठा हू सरे राह मे आज़र बना हुआ

कैसे करे हम इश्क़ नवाबी मिजाज़ है
रहता है इश्क़ हुस्न का नौकर बना हुआ



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