Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Tuesday, 20 February 2018

बहुत दिन बाद फिर से लब पे तेरा नाम आया है



बहुत दिन बाद फिर से सामने
पेचीदा सा रास्ता है
बहुत दिन बाद अंधेरो ने
लिबासे गम लपेटा है
बहुत दिन बाद फिर से मौसम
ज़रा बोझिल सा लगता है
बहुत दिन बाद इन आँखो मे फिर से तेरा चेहरा है
बहुत दिन बाद फिर से लब पे तेरा नाम आया है

बुझी शम्मा नही अब तक
मुहब्बत अब भी बाक़ी है
गिले शिकवे भी क़ायम है
शिकायत अब भी बाक़ी है
रंगे हाथो से सीने पे 
जो तूने हाथ रखा था
मेरे दिल की हर एक धरकन मे रंगत अब भी बाक़ी है
बहुत दिन बाद फिर से लब पे तेरा नाम आया है

अंधेरे बढ़ रहें हैं और 
फ़ज़ा गमगीन सी है अब
कहीं बादल बरसते हैं 
हवा नमकीन सी है अब
मेरी खामोश धड़कन को 
ज़बा देकर मगर साहिर
लबों ने जो खता की है ज़रा संगीन सी है अब

बहुत दिन बाद फिर से लब पे तेरा नाम आया है
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