Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Sunday, 25 March 2018

अम्न के चैन के पैगाम से जल जाते हैं



अम्न के चैन के पैगाम से जल जाते हैं
कितने जुगनू कहीं गुमनाम से जल जाते हैं
शाम आती है तो यादो की हवा चलती है
दिल के आँगन मे कई नाम से जल जाते हैं
जब भी सूरज ने अंधेरो में पनाहें ढूंढी
कुछ दिए टूटे सरे आम से जल जाते हैं
जिन का दावा था बहुत प्यार है तुमसे हमको
अब वही हैं की मेरे नाम से जल जाते हैं
इश्क़ क्या चीज़ है परवाने से पूछो साहिर
शम्मा जलती है तो आराम से जल जाते हैं

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