Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Tuesday, 30 May 2017

प्रीत प्यार को जो ठुकरा दे उस पगली को देखा है


प्रीत प्यार को जो ठुकरा दे उस पगली को देखा है
में तुलसी हूँ मेंने तुझ मे रत्नावली को देखा है



इस धरती पर स्वर्ग के दर्शन काशी में हो जाते हैं
काशी मथुरा भूल गया जब तेरी गली को देखा है



युगों युगों के तोड़ के बंधन तुम से मिलने आया हूँ
जल से दूर तड़पती मेंने इक मछ्ली को देखा है
©Sahir Adeeb

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