Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Friday, 23 February 2018

ऐसे ही लिखे हैं कुछ बोल तुम्हारी खातिर



ऐसे ही लिखे हैं कुछ बोल तुम्हारी खातिर
गर इजाज़त हो तू दूँ बोल तुम्हारी खातिर
आप अनमोल हो मेरे लिए समझोगे नही
खुद को ले आए हैं बेमोल तुम्हारी खातिर
मुझको मालूम है पाउट नही जचती मुझ पर
फिर भी लब कर दिए हैं गोल तुम्हारी खातिर
पाँव फिर खुद ही थिरक उठठे तुम्हारे साहिर
हम बजा दें  जो अगर  ढोल तुम्हारी खातिर
اردو میں پڑھیں

No comments:

Post a Comment