इस चेहरे पे कितने शायर
अपने नगमे कहते होंगे
इन नज़रो से ज़ख़्मी कितने
पागल पागल रहते होंगेदेख के उसको इन आँखो मे
किया किया रंग उभरते हैं
मानो ना मानो हुसने ग़ज़ल हम
प्यार तुम्ही से करते हैं
ऐसा नहीं की प्यार नहीं है
इश्क़ मे दिल बीमार नहीं है
सच है के महबूब मेरा ये
सुनने को तैयार नहीं है
देख देख के उसको कब से
यूँही आहें भरते हैं
मानो ना मानो हुसने ग़ज़ल हम
प्यार तुम्ही से करते हैं
जिसको छूके झोंके हवा के
खुश्बू से भर जाते हैं
उनके जिस्म के हर हिस्से से
नूर से छन छन आते हैं
कर के ही दीदार तेरा ये
चाँद और तारे सँवरते हैं
मानो ना मानो हुसने ग़ज़ल हम
प्यार तुम्ही से करते हैं
जैसे बारिश की ये बूंदे
आँगन मे रह रह बरसती हैं
तेरी याद मे जाने जानाँ
ऐसे आँखे छलक्ती हैं
देखो कब दिन आए मेरे
नज़र इधर कब करते हैं
मानो ना मानो हुसने ग़ज़ल हम
प्यार तुम्ही से करते हैं
اردو میں پڑھیں
No comments:
Post a Comment