Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Friday, 9 June 2017

करम की खुदा एक नज़र माँगते हैं


करम की खुदा एक नज़र माँगते हैं
दुआओं मे अपनी असर माँगते हैं

जिसे चाहा है दिल की गहराइयो से
बने दे उसे हमसफ़र माँगते हैं

जहा धूप हो सख़्त वीरान सेहरा
हो ज़ुल्फो का साया शजर माँगते हैं

अगर साथ मेरे जो हो मेरा हमदम
कभी ख़त्म हो ना सफ़र माँगते हैं

शुरू करते हैं जब दुआएँ तो ऐसे
पहर दोपहर सहपेहर माँगते हैं

जो मुझसे मुहब्बत नही है तो साहिर
हमे दे दो अपना जिगर माँगते हैं

1 comment:

  1. hoti nahi qubool dua wasle yaar ki
    (is par bhi kuchh lines likh de huzoor)

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