दुआओं मे अपनी असर माँगते हैं
जिसे चाहा है दिल की गहराइयो से
बने दे उसे हमसफ़र माँगते हैं
जहा धूप हो सख़्त वीरान सेहरा
हो ज़ुल्फो का साया शजर माँगते हैं
अगर साथ मेरे जो हो मेरा हमदम
कभी ख़त्म हो ना सफ़र माँगते हैं
शुरू करते हैं जब दुआएँ तो ऐसे
पहर दोपहर सहपेहर माँगते हैं
जो मुझसे मुहब्बत नही है तो साहिर
हमे दे दो अपना जिगर माँगते हैं
©Sahir Adeeb
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hoti nahi qubool dua wasle yaar ki
ReplyDelete(is par bhi kuchh lines likh de huzoor)