जैसे गिरी हो ओस की बूंदे गुलाब पर
वो मुस्कुरा के कहने लगे ना लगे नज़र
हर सूट सूट करता है मेरे नवाब पर
वो मुस्कुरा के कहने लगे ना लगे नज़र
हर सूट सूट करता है मेरे नवाब पर
कुछ इस तरह से इश्क़ का इज़हार चाहिए
लिक्खा हो मेरा नाम तुम्हारी किताब पर
लिक्खा हो मेरा नाम तुम्हारी किताब पर
पूछा था ये उन्होने क्या चाहिए तुम्हें
शर्मा गये थे फिर वो हमारे जवाब पर
साहिर करेंगे मिल के सभी तार्क़ मैकशी
खाई है रिंदो ने क़सम अब के शराब पर
शर्मा गये थे फिर वो हमारे जवाब पर
साहिर करेंगे मिल के सभी तार्क़ मैकशी
खाई है रिंदो ने क़सम अब के शराब पर
©Sahir Adeeb
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