Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Tuesday, 6 June 2017

जानती है अंजान नही है

जानती है अंजान नही है
इतनी बड़ी नादान नही है

आशिक़ हूँ मशहूर तेरा में
क्या ये मेरी पहचान नही है

खेल ना नाज़ुक दिल से मेरे
खेल का ये सामान नही है

भूलना तुझ को ए जानेजाँ
इतना तो आसान नही है

एक तू हो जाए मेरा बस
और कोई अरमान नही है

"साहिर" दिल मे जो रहता है
अपना   है  अंजान   नही है
©Sahir Adeeb

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