वो ठंडक से बचाने को दुशाला बाँध देती है
किसी माँ की दुआ को तुम कभी हल्के मे मत लेना
समंदर रोकना हो तो हिमाला बाँध देती है
अमीरो की तरह लॉकर नही है बैंक मे उसके
ग़रीबी जब भी घबराती है ताला बाँध देती है
बेचारी मुहब्बत आँसुओ से रोज़ बुनती है
किसी हज़रत के दरवाज़े पे माला बाँध देती है
किसी माँ की दुआ को तुम कभी हल्के मे मत लेना
समंदर रोकना हो तो हिमाला बाँध देती है
अमीरो की तरह लॉकर नही है बैंक मे उसके
ग़रीबी जब भी घबराती है ताला बाँध देती है
बेचारी मुहब्बत आँसुओ से रोज़ बुनती है
किसी हज़रत के दरवाज़े पे माला बाँध देती है
©Sahir Adeeb
اردو میں پڑھیں
اردو میں پڑھیں
No comments:
Post a Comment