Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Friday, 9 June 2017

कहीं घटाओं का पहरा तलाश करते हैं


कहीं घटाओं का पहरा तलाश करते हैं
जहाँ हो वक़्त सुनेहरा तलाश करते हैं
चलो का मजनू का हम ज़ौक़े आशिक़ी परखें
गिरेबाँ चाक हो सेहरा तलाश करते हैं
हवा सुहानी है मतलब इसी शहर मे कही
किसी जगह पे है ठहरा तलाश करते हैं
तेरी ग़ज़ल मे कोई खुश्बू ही नही "साहिर"
चलो कि फूल सा चेहरा तलाश करते हैं

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