माँ कहती है येतो थोड़े आँख के तेरी आँसू हैं
दुख भी हैं ये और किसी के और किसी के आँसू हैं
मीरा की कविता को कविता कहने वाले भूल गये
कृष्ण प्रेम मे जो बह निकले एक दासी के आँसू हैं
रातो को रो रो कर जिसने माँगी दुआएँ मेरे लिए
हीरे हैं या मोती हैं या उस पगली के आँसू हैं
हुस्न है जेसे खिलता कंवल या गोया कोई ताजमहल
ओस गिरी है नरगिस पर या कोई परी के आँसू हैं
शामे विदाई बाप से पूछा आँखे भीगी चेहरा धुआँ सा
कहने लगा के हट पगले ये तो खुशी क आँसू हैं
©Sahir Adeeb
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