Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Friday, 9 June 2017

माँ कहती है येतो थोड़े आँख के तेरी आँसू हैं


माँ कहती है येतो थोड़े आँख के तेरी आँसू हैं
दुख भी हैं ये और किसी के और किसी के आँसू हैं
मीरा की कविता को कविता कहने वाले भूल गये
कृष्ण प्रेम मे जो बह निकले एक दासी के आँसू हैं
रातो को रो रो कर जिसने माँगी दुआएँ मेरे लिए
हीरे हैं या मोती हैं या उस पगली के आँसू हैं
हुस्न है जेसे खिलता कंवल या गोया कोई ताजमहल
ओस गिरी है नरगिस पर या कोई परी के आँसू हैं
शामे विदाई बाप से पूछा आँखे भीगी चेहरा धुआँ सा
कहने लगा के हट पगले ये तो खुशी क आँसू हैं
©Sahir Adeeb

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