तड़प रहा हूँ तेरे दिल मे कुछ जगह के लिए
गुनाह ऐसे की शैतान भी लरज उठठे
ये कोई बात है हाज़िर हूँ मैं सज़ा के लिए
बस आँख भीगी और अता रब ने कर दिया
अभी तो हाथ भी उठे न थे दुआ के लिए
मेरे गुनाहो की फेहरिस्त बड़ी लंबी है
मुझे मुआफ़ ना करना कभी खुदा क लिए
उसे ज़माना अभी पागल ही समझता है
वो इंतेज़ार मे है आज भी वफ़ा के लिए
तेरी निगाहो का साक़ी कोई जवाब तो दे
मैकदे खुद ही चले आए हैं नशा क लिए
मैं आज और अभी लौट आऊँगा "साहिर"
हूँ इंतेज़ार मे तेरी बस एक सदा क लिए
गुनाह ऐसे की शैतान भी लरज उठठे
ये कोई बात है हाज़िर हूँ मैं सज़ा के लिए
बस आँख भीगी और अता रब ने कर दिया
अभी तो हाथ भी उठे न थे दुआ के लिए
मेरे गुनाहो की फेहरिस्त बड़ी लंबी है
मुझे मुआफ़ ना करना कभी खुदा क लिए
उसे ज़माना अभी पागल ही समझता है
वो इंतेज़ार मे है आज भी वफ़ा के लिए
तेरी निगाहो का साक़ी कोई जवाब तो दे
मैकदे खुद ही चले आए हैं नशा क लिए
मैं आज और अभी लौट आऊँगा "साहिर"
हूँ इंतेज़ार मे तेरी बस एक सदा क लिए
©Sahir Adeeb
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