मुझे तुमसे मुहब्बत थी मुझे तुमसे मुहब्बत है
तेरा ही नाम लेने की
मेरी धरकन को आदत है
मेरे ख्वाबो की दुनिया में
तेरी ही तेरी सूरत है
खामोशी के लम्हो मे
ये कहने की ज़रूरत है
मुझे तुमसे मुहब्बत थी
मुझे तुमसे मुहब्बत है
तुम्हारे ही लिए सारी
दुआएँ हैं इबादत है
वफाएँ जो तुम्हारी हैं
वही पूंजी है दौलत है
कभी सावन के मौसम मे तेरे मिलने की चाहत है
मुझे तुमसे मुहब्बत थी
मुझे तुमसे मुहब्बत है
हैं ज़ूलफे जो घटा जैसी
और आँखो मे शरारत है
तेरी तस्वीर है ऐसी
मेरी बरसो की मेहनत है
कभी साहिर से भी मिल ले
अगर दो पल को मोहलत है
मुझे तुमसे मुहब्बत थी
मुझे तुमसे मुहब्बत है
©Sahir Adeeb
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