मेरी तर्ज़े सुखन पे ना जा हमनशी,
ये तो बस इश्क़ का मेरे इज़हार है
मेरा गुस्सा जो है बस दिखावे का है,
देख दिल मे मेरे प्यार ही प्यार है
पहले परदा उठा फिर खुली खिड़कियाँ,
फिर निगाहें मिली फिर गिरी बिजलियाँ
धीरे धीरे से बदली से निकला क़मर
किस क़दर जाँ ब लब तेरा दीदार है
तू ही मंज़िल भी है, तू ही है रह गुज़र
तू ही साथी मेरा तू ही है हम सफ़र
नाव भी तू मेरा तू ही दरिया भी है
तू ही मांझी मेरा तू ही पतवार है
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