Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Wednesday, 14 February 2018

दिल की धड़कन में Beat करती है



दिल की धड़कन में Beat करती है
बातें कितनी  वो  Sweet  करती है
थोड़ी   ज़िद्दी   है   थोड़ा   पागल  है
थोड़ी   भोली   है   थोड़ा   चंचल  है
उस में शोखी  भी  है  नज़ाकत  भी
और अदाएँ  हैं  कुछ  क़यामत  भी
धीरे   से   जब   वो   मुस्कुराती  है
तब   खिज़ाँ   मे   बहार   आती  है
हाँ  कभी  जब  खफा  सी  होती  है
दिल की धड़कन क़ज़ा सी होती है
महफ़िलों  में   ज़रा   मैं  डरता  हूँ
थोड़ा   ignore  उसको  करता  हूँ
एक   ये   भी    अंधेर   करता   हूँ
उस  से  मिलने  में  देर  करता हूँ
मेरी     बातों    मेरे    उसूलों   पर
मेरी   नासम्झियों  पे  भूलों   पर
थोड़ा  नाराज़  मुझ  से  रहती  है
और  गुस्से  में  आके  कहती  है
तुम   बुरे   हो   सड़े   सड़े  से  हो
इतना कह के वो रोने लगती  है
अपना दामन भिगोने लगती है
फिर मैं उसको तसल्ली देने को
और  Sorry  वगेरा  कहने  को
पल में मंज़िल कई में चढ़ता हूँ
डर के थोड़ा सा  आगे  बढ़ता हूँ
फिर जो उसका Slap लगता है
चेहरा भारत का Map लगता है
दस्ते नाज़ुक को लेके  हाथों  में
और    ऐसे     बातों    बातों   में
उस को धीरे  से  खींच  लेता  हूँ
अपनी  बाँहों  में  भींच  लेता  हूँ
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