Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Tuesday, 30 May 2017

तुम धरकनो में दिल की उजलों मे रहते हो

तुम धरकनो में दिल की उजलों मे रहते हो

तुम आज भी हमारे ख़यालो   में रहते हो


तुम क्यू थे क्यू मिले थे फिर क्यू जुड़ा हुए
कुछ इस तरह से मेरे सवालो में रहते हो


दीवाने हैं खुशी से लगा देंगे अपने लब
इतना तो कह दो ज़हर के प्यालो में रहते हो


साहिर के लफ्ज़ लफ्ज़ में तस्वीर है तेरी
उसकी गज़ल के तुम ही हवलो मे रहते हो
©Sahir Adeeb

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