फिर से खुल के मुस्कुराना चाहते हैं आशिक़ी का फिर ज़माना चाहते हैं हम तेरी गलियो मे आना चाहते हैं तुमसे मिलने का बहाना चाहते हैं ...
Wednesday, 18 October 2017
अब के पतझड़ ने छीने है साए एक शजार छाँव की तलाश मे है वो किसी जगह बंद आँखे किए अपने घर गाँव की तलाश मे है ये ...
तू अब इतना ज़रूरी है बिना दीदार के तेरे ना दिन गुज़रे ना शब गुज़रे ना एक पल भी क़रार आए तेरा जाना कुछ ऐसा है के जैसे जान जाती है त...
एक बापरदा सी लड़की जो दौलत ला ना पाई थी छत के पंखे से लटकी वही खबरों मे रहती है हंस कर अलविदा उसको कभी का कह दिया मेने ना जाने ये नाम...