Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Wednesday, 18 October 2017

एक बापरदा सी लड़की जो दौलत ला ना पाई थी


एक बापरदा सी लड़की जो दौलत ला ना पाई थी
छत के पंखे से लटकी वही खबरों मे रहती है
हंस कर अलविदा उसको कभी का कह दिया मेने
ना जाने ये नामी सी क्यू मेरी आँखो मे रहती है
जिसे पागल समझ कर मैं नज़र अंदाज़ करता था
वही  अब साथ तन्हाई के  भी लम्हों मे रहती है
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