एक बापरदा सी लड़की जो दौलत ला ना पाई थी
छत के पंखे से लटकी वही खबरों मे रहती है
हंस कर अलविदा उसको कभी का कह दिया मेने
ना जाने ये नामी सी क्यू मेरी आँखो मे रहती है
जिसे पागल समझ कर मैं नज़र अंदाज़ करता था
वही अब साथ तन्हाई के भी लम्हों मे रहती है
اردو میں پڑھیں
.......
No comments:
Post a Comment