Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Tuesday, 13 June 2017

वो एक मजबूर है दुनिया उसे गूंगा समझती है


वो एक मजबूर है दुनिया उसे गूंगा समझती है
जो कुछ कह भी नही पाता उसे भी माँ समझती है
कृष्णा की जो मूरत  है सदा खामोश रहती है
ये मीरा थोड़ी पागल है उसे भी हाँ समझती है
क्या अच्छा बुरा क्या है अभी ये सब वो क्या जाने
है एक मासूम बच्चा तू जिसे शैतां समझती है
साहिर सच है दुनिया की नज़र ज़ाहिर पे रहती है
इसे आँसू नही दिखते मुझे शादाँ समझती है

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1 comment:

  1. कृष्णा की जो मूरत है सदा खामोश रहती है
    ये मीरा थोड़ी पागल है उसे भी हाँ समझती है
    very impressive lines.I too a great fan of Meera Bai.

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