तू अब इतना ज़रूरी है बिना दीदार के तेरे
ना दिन गुज़रे ना शब गुज़रे ना एक पल भी क़रार आए
तेरा जाना कुछ ऐसा है के जैसे जान जाती है
तेरा आना कुछ ऐसा जैसे सेहरा मे बहार आए
तेरी आँखो मे जाने कितने तारे जगमगाते हैं
तेरा हँसना कुछ ऐसा है की कलियो मे निखार आए
तुम्हारा लम्से नाज़ुक एक अजब एहसास देती है
भड़कते शोलों पे जैसे की सावन की फुहार आए
कोई मौक़ा भी आएसा हो मुझे वो देख कर हंस दे
मुरादें पूरी हो जाए ये मौक़ा बार बार आए
हँसी चाहे उड़ा लो तुम करोगे क्या मगर साहिर
जो इन पागल अदाओं पर किसी दिन उनको प्यार आए
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