Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Wednesday, 18 October 2017

तू अब इतना ज़रूरी है बिना दीदार के तेरे



तू अब इतना ज़रूरी है बिना दीदार के तेरे
ना दिन गुज़रे ना शब गुज़रे ना एक पल  भी क़रार आए

तेरा जाना कुछ ऐसा है के जैसे जान जाती है
तेरा आना कुछ ऐसा जैसे सेहरा मे बहार आए

तेरी आँखो मे जाने कितने तारे जगमगाते हैं
तेरा हँसना कुछ ऐसा है की कलियो मे निखार आए

तुम्हारा लम्से नाज़ुक एक अजब एहसास देती है
भड़कते शोलों पे जैसे की सावन की फुहार आए

कोई मौक़ा भी आएसा हो मुझे वो देख कर हंस दे

मुरादें पूरी हो जाए ये मौक़ा बार बार आए

हँसी चाहे उड़ा लो तुम करोगे क्या मगर साहिर

जो इन पागल अदाओं पर किसी दिन उनको प्यार आए

No comments:

Post a Comment