अब के पतझड़ ने छीने है साए
एक शजार छाँव की तलाश मे है
वो किसी जगह बंद आँखे किए
अपने घर गाँव की तलाश मे है
ये पहेलवान जीतने के लिए
एक नये दाँव की तलाश मे है
पाँव वो जूते की दुआ माँगे
और ये पाँव की तलाश मे है
कोई मेहमान आ ही जाए कही
कान अब कांव की तलाश मे है
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कोई मेहमान आ ही जाए कही
ReplyDeleteकान अब कांव की तलाश मे है
very interesting way of poetry