Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Wednesday, 18 October 2017

अब के पतझड़ ने छीने है साए


अब के पतझड़ ने छीने है साए
एक शजार छाँव की तलाश मे है
                    
वो किसी जगह बंद आँखे किए
अपने घर गाँव की तलाश मे है

ये पहेलवान जीतने के लिए
एक नये दाँव की तलाश मे है

पाँव वो जूते की दुआ माँगे
और ये पाँव की तलाश मे है

कोई मेहमान आ ही जाए कही

कान अब कांव की तलाश मे है
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1 comment:

  1. कोई मेहमान आ ही जाए कही

    कान अब कांव की तलाश मे है
    very interesting way of poetry

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