Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Friday, 15 December 2017

कोई चारा कोई तदबीर तब कारी नही होती




कोई चारा कोई तदबीर तब कारी नही होती
ये सच है हुस्न आगे हो तो हुशयारी नही होती
ये माना दोस्त दिल के हाथ कुछ मजबूर हो फिर भी
हर एक से प्यार कर लेना समझदारी नही होती

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