केसे गुज़रेगी रात मुश्किल है
उसके सर पर दुआएँ हैं माँ की
उसको अब होनी मात मुश्किल है
अब के पतझड़ मे क्या बचा होगा
फूल तो फूल पात मुश्किल है
इश्क़ का रंग रूप नामुमकिन
धर्म क्या और ज़ात मुश्किल है
उसके सर पर दुआएँ हैं माँ की
उसको अब होनी मात मुश्किल है
अब के पतझड़ मे क्या बचा होगा
फूल तो फूल पात मुश्किल है
इश्क़ का रंग रूप नामुमकिन
धर्म क्या और ज़ात मुश्किल है
©Sahir Adeeb
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