Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Sunday, 4 February 2018

धीरे से बेक़रार सीने पे


धीरे  से    बेक़रार    सीने   पे
वह तसल्ली को हाथ धर देती
ऐसा होता तो  मेरे  जीवन  में
फ़रवरी  थोड़ा   रंग  भर  देती

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