Sahir Adeeb

The Poet of New Generations

Saturday, 3 February 2018

जैसे खुशियों की एक रिदा ओढ़े


जैसे खुशियों की एक रिदा ओढ़े
कितनी खुश्बू  है  ये  हवा  ओढ़े
फ़रवरी आ चुकी है अब  साहिर
मुस्कुराने की एक  वजह  ओढ़े

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